Mission & Vision


पांच आधारभूत विषय


शारीरिक शिक्षा:

बालक बलवान बने, बलिष्ठ बने, अच्छा खिलाड़ी बने, उसकी शारीरिक क्षमताओं का विकास हो, ऐसा बालक ही देश और धर्म की रक्षा कर सकेगा. विद्या भारती के सभी विद्यालयों में सभी बालक शारीरिक दृष्टि से विकास करें, यह प्रयास एवं व्यवस्था की जाती है | इसी दृष्टि से कक्षानुसार शारीरिक शिक्षा का पाठ्यक्रम विशेषज्ञों ने बनाया है | शारीरिक शिक्षा का विशेष प्रशिक्षण देने के लिए क्षेत्रशः केंद्र स्थापित किये गए हैं | विद्या भारती राष्ट्रीय खेल-कूद परिषद् का गठन किया जा रहा है |


योग शिक्षा::

योग विद्या भारती की प्राचीन विद्या है | विश्व भर में इसको अपनाया जा रहा है | विद्या भारती का प्रयत्न है कि हमारे सभी बालक-बालिकाएं योगाभ्यासी बनें. योग के अभ्यास से शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक विकास उत्तम रीति से होता है - यह विज्ञान से एवं अनुभव से सिद्ध है | प्रत्येक प्रदेश एवं क्षेत्र में योग शिक्षा केंद्र स्थापित किये हैं | जहाँ प्रयोग एवं आचार्य प्रशिक्षण के कार्यक्रम चलते हैं | एक राष्ट्रीय स्तर पर भी योग शिक्षा संस्थान स्थापित करने की योजना विचाराधीन है |


संस्कृत भाषा::

संस्कृत भाषा की ही नहीं विश्व कि अधिकांश भाषाओँ की जननी है | संस्कृत साहित्य में भारतीय संस्कृति एवं भारत के प्राचीन ज्ञान-विज्ञान की निधि भरी पड़ी है | संस्कृत भाषा के ज्ञान के बिना उससे हमारे छात्र अपरिचित रहेंगे. संस्कृत भारत की राष्ट्रीय एकता का सूत्र भी है | विद्या भारती ने इसी कारण संस्कृत भाषा के शिक्षण को अपने विद्यालय में महत्वपूर्ण स्थान दिया है | विद्या भारती संस्कृत विभाग कुरुक्षेत्र में स्थित है | इस विभाग ने सम्भाषण पद्धति के आधार पर "देववाणी संस्कृतम" नाम से पुस्तकों का प्रकाशन भी किया है | संस्कृत के आचार्यों का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी इस विभाग के द्वारा संचालित होता है |


संगीत शिक्षण::

संगीत वह कला है | जो प्राणी के हृदय के अंतरतम तारों को झंकृत कर देती है | उदात्त भावनाओं के जागरण एवं संस्कार प्रक्रिया के माध्यम के रूप में संगीत का शिक्षण विद्या भारती के सभी विद्यालयों में सारे देश में चलता है | उच्च स्तर के गीत कैसेट तैयार कराए गए हैं | राष्ट्र भक्ति के गीतों का स्वर पूरे भारत में गूंजता है | जन्मदिवस के उत्सव हेतु गीत-कैसेट तैयार कराया है | जो घर-घर में बजता है | संगीत शिक्षण का कक्षानुसार पाठ्यक्रम निर्धारित है | सभी भारतीय भाषाओँ में गीत छात्रों में प्रचलित हैं | भाषायें भिन्न हैं किन्तु भाव एक हैं | यह अनुभूति होती है |


नैतिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा::

बालक देश के भावी कर्णधार हैं | उनके चरित्र बल पर ही देश कि प्रतिष्ठा एवं विकास आधारित है | |अतः नैतिकता, राष्ट्रभक्ति आदि मूल्यों की शिक्षा और जीवन के आध्यात्मिक दृष्टिकोण का विकास करने हेतु विद्या भारती ने यह पाठ्यक्रम बनाया है | यह समस्त शिक्षा प्रक्रिया का आधार विषय है | भारतीय संस्कृति, धर्म एवं जीवनादर्शों के अनुरूप बालकों के चरित्र का निर्माण करना विद्या भारती की शिक्षा प्रणाली का मुख्य लक्ष्य है |